नाम

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The Time, the KAAL devours everything but it cannot lay claim to the breaths dyed with the Divine Name. Kaal has no access, no approach to the breaths so offered as fragrant flowers at the Holy Feet of Sri Guru Nanak Sahib.
सारे जीवों और सृष्टि का एक मात्र सहारा नाम है। नामी को अनुभव करने अथवा नामी को पुकारने के लिए नाम दोहराया जाता है। नाम, नाम लेने वाले को नामी से जोड़ना है। नाम भक्त को भगवान् से जोड़ता है। नाम उपासक से पूजनीय के सच्चे संबंध को पक्का करता है।

परमात्मा का दिव्य नाम ‘गगनमय संगीत’ है। यह ब्रह्माण्ड का दैवी संगीत है। यह अनन्त संगीत है। यह आत्मा को आनंदित करने वाला संगीत है।

‘नाम के जहाज’ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में अद्भुत रूप से संगमित हुए सारे राग आत्मिक भाव से परिपूर्ण दैवी नाम की स्तुति करते हैं। ब्रह्माण्डीय एकस्वरता और प्रेम से भरा यह अलौकिक संगीत सभी जीवों को दिव्य आनंद प्राप्त कराता हुआ पवित्र कर रहा है। ईश्वरीय नाम के बराबर इस संसार में अन्य कुछ भी नहीं है।

सम्पूर्ण चल और अचल सृष्टि नाम की शक्ति से उत्पन्न हुई है। संसार के सभी तत्त्व, जिनमें प्रकृति भी शामिल है, नाम की शक्ति से जुड़े हैं।

परमात्मा और उसका नाम समरूप है। दोनों एक ही हैं। इस कलियुग में ईश्वर का दिव्य नाम सर्वशक्तिमान् है। इस दिव्य नाम का स्मरण करने से बड़े-से-बड़े पापी भी एक पल में मुक्ति प्राप्त कर लेते हैं।

नाम इच्छापूर्ति करने वाला कल्पवृक्ष व कामधेनु है। सोते-जागते किसी भी अवस्था में नाम का ध्यान किया जा सकता है। अहंकार और दिव्य नाम एक साथ नहीं रह सकते, क्योंकि-

अहंकार अंधकार है जबकि दिव्य नाम अमर प्रकाश है।
अहंकार अपवित्र है जबकि दिव्य नाम सर्वश्रेष्ठ पवित्रता है।
अहंकार झूठ है जबकि दिव्य नाम अमर सच्च है।
अहंकार असत्य है जबकि दिव्य नाम पूर्ण सत्य है।
अहंकार मृत्यु है जबकि दिव्य नाम सजीवता है।
अहंकार के इस दीर्घ भयानक रोग के लिए नाम ही दैवी उपचार है।

सांसारिक व्याधियों के लिए सच्चा उपचार ‘नाम’ है। पूर्ण विनम्रता, भक्ति-भाव और प्रेमपूर्वक दिव्य नाम के स्मरण से मन शुद्ध हो जाता है।